महाराष्ट्र की दिल दहला देने वाली घटना — नीट अंकों पर बेटी की हत्या (जून 2025, सांगली) (Shocking incident from Maharashtra – Daughter murdered over NEET marks (June 2025, Sangli))

घटना: जब अपेक्षाओं का बोझ जानलेवा बन गया (Incident: When the burden of expectations became fatal)
होनहार छात्रा की दर्दनाक मौत (The tragic death of a promising student)
मैं इस वक्त महाराष्ट्र के सांगली जिले के आटपाडी तहसील के नेलकरंजी गांव में हूं, जहां 17 साल की साधना भोसले — जिसने 10वीं कक्षा में 92.6% अंक हासिल किए थे — को एक नीट मॉक टेस्ट में कम अंक आने पर उसके अपने ही पिता, धोंडिराम भोसले ने पीट-पीटकर मार डाला। हैरानी की बात यह है कि धोंडिराम भोसले स्वयं एक स्कूल के प्रधानाध्यापक हैं।
सांगली में दिल दहला देने वाली घटना – NEET मॉक टेस्ट में कम नंबर आने पर पिता ने 17 वर्षीय साधना भोसले की पीट-पीटकर हत्या कर दी।
— Irfan isak shaikh (@irfan_speak786) June 25, 2025
कब तक बच्चों पर मार्क्स का बोझ मौत बनकर टूटेगा? 💔🥲#JusticeForSadhana | #neetug2025 |#Sangli |#Maharashtra | #Sadhana pic.twitter.com/yWk9qPywzJ
गुस्से में रातभर का हिंसाचार (Night-long violence in anger)
पुलिस ने जानकारी दी कि धोंडिराम ने लकड़ी की मूसल (खलबत्ते की सटक) से रातभर साधना की पिटाई की। यह भयानक घटना उसकी मां और छोटे भाई के सामने ही हुई। साधना के सिर और शरीर पर गंभीर चोटें आईं। अगले दिन, योग दिवस कार्यक्रम के लिए धोंडिराम घर से निकल गया, जबकि साधना अचेत हालत में पड़ी रही। उसे तुरंत अस्पताल ले जाया गया लेकिन इलाज शुरू होने से पहले ही उसकी मौत हो गई।
पुलिस कार्रवाई: FIR, गिरफ्तारी और कबूलनामा (Police action: FIR, arrest and confession)
22 जून 2025 को साधना की मां ने पुलिस स्टेशन में शिकायत दर्ज कराई। धोंडिराम ने जुर्म कबूल कर लिया है और उसे गिरफ्तार कर पुलिस हिरासत में भेजा गया है।
पोस्टमार्टम और प्राथमिक जांच (Post mortem and preliminary investigation)
पोस्टमार्टम रिपोर्ट में स्पष्ट हुआ कि साधना की मौत शरीर के विभिन्न हिस्सों में गंभीर चोट लगने से हुई। पुलिस ने इसे हत्या का मामला मानते हुए केस दर्ज किया है।
समाज का प्रतिक्रिया — शैक्षणिक दबाव ने ली जान (Society’s response – academic pressure took lives)
गांव में शोक और आक्रोश (Grief and anger in the village)
गांव के लोग, शिक्षकों की यूनियन और स्थानीय कलाकार इस घटना से स्तब्ध हैं। शिक्षा के क्षेत्र से जुड़े एक पिता द्वारा अपनी होनहार बेटी पर किया गया यह अत्याचार पूरे समाज के सामने एक बहुत गंभीर सवाल खड़ा करता है।
मानसिक स्वास्थ्य पर ज़ोर (emphasis on mental health)
मनोचिकित्सकों और सामाजिक विशेषज्ञों का कहना है कि आज के समय में छात्रों और अभिभावकों दोनों के लिए मानसिक स्वास्थ्य और अपेक्षाओं के बीच संतुलन बनाए रखना बेहद ज़रूरी है। निराशा के समय संवाद और मदद सबसे अहम हैं।
मानसिक दबाव और नीट की तैयारी (Mental stress and NEET preparation)
नीट की तैयारी के दौरान अक्सर मॉक टेस्ट या अन्य अभ्यास परीक्षाओं को इतना अहम माना जाता है कि विद्यार्थी और अभिभावक इसे जीवन-मरण का प्रश्न बना लेते हैं।
विशेषज्ञों के मुताबिक:
“नीट महज एक परीक्षा नहीं, बल्कि पूरे जीवन के दरवाजे का बोझ अपने साथ लाती है,” — इसीलिए विद्यार्थियों के मानसिक तनाव पर बेहद बारीकी से ध्यान देने की ज़रूरत है।
राष्ट्रीय स्तर पर बहस — NEET प्रणाली पर सवाल (National level debate – questions on NEET system)
इस तरह की घटनाएं केवल महाराष्ट्र तक सीमित नहीं, बल्कि पूरे देश में NEET की परीक्षा प्रणाली, इसकी तैयारियों की असमानता और अत्यधिक चयन प्रक्रिया पर गंभीर सवाल खड़े कर रही हैं।
कई लोगों ने सुझाव दिया है कि “सिर्फ एक परीक्षा“ के आधार पर छात्रों के भविष्य का निर्धारण करना ठीक नहीं है। इसकी जगह द्विवार्षिक परीक्षाएं, पोर्टफोलियो आधारित मूल्यांकन और समूह कौशल की जांच जैसे विकल्पों पर विचार होना चाहिए।
शैक्षणिक संस्थाओं और अभिभावकों की भूमिका (Role of educational institutions and parents)
मानसिक स्वास्थ्य सुविधाएं (mental health facilities)
कुछ स्कूल और कोचिंग संस्थानों ने 24×7 इमरजेंसी काउंसलिंग हेल्पलाइन, ऑनलाइन थैरेपी सेशन, और माता-पिता के लिए ‘तनाव प्रबंधन कार्यशालाएं’ शुरू की हैं।
परिवार में संवाद की आवश्यकता (The need for communication in the family)
NEET जैसी कठिन परीक्षाओं की तैयारी के दौरान परिवार में “भावनात्मक संवाद सत्र” की सलाह दी जा रही है ताकि छात्र न सिर्फ पढ़ाई पर ध्यान दें, बल्कि खुलकर अपनी चिंताओं और तनावों को भी साझा कर सकें।
आगे बढ़ने के लिए संभावित उपाय (Possible steps to move forward)
उपाय | विवरण |
निगरानी व्यवस्था | राज्य और केंद्र सरकार द्वारा छात्रों के मानसिक स्वास्थ्य की नियमित निगरानी |
ब्याज मुक्त वित्तीय सहायता | आर्थिक रूप से कमजोर छात्रों के लिए NEET कोचिंग हेतु छात्रवृत्ति और मुफ्त सुविधा |
संतुलित दिनचर्या | अध्ययन के साथ-साथ खेल, शौक, योग आदि के लिए समय निर्धारित करना |
आने वाला कदम: संयुक्त चर्चा (Next step: Joint discussion)
इस घटना के बाद राज्य की महावितरण कंपनी, शिक्षा विभाग और बाल कल्याण समिति मिलकर आगामी सप्ताह में ‘वन-डे मेंटल हेल्थ राउंडटेबल कॉन्क्लेव’ आयोजित करने जा रहे हैं। इसमें शिक्षाविदों, मनोचिकित्सकों, छात्रों और अभिभावकों की भागीदारी संभावित है।
निष्कर्ष (Conclusion)
पहले इस तरह की घटनाएं दुर्लभ मानी जाती थीं, लेकिन अब ये चिंता का विषय बन चुकी हैं। अगर हमने समय रहते चेतावनी नहीं ली तो यह संकट और गहराता जाएगा।
शिक्षा जितनी ज़रूरी है, उतना ही ज़रूरी है छात्र का मानसिक और भावनात्मक विकास।