Divorce document and pen representing rising divorce rate and legal changes in India 2025

भारतमें तलाक का ट्रेंड: 2025 के आंकड़े औरविश्लेषण (Divorce Trends in India: Statistics and Analysis for 2025)

भारत एक ऐसा देश है जो अपनी विविधता और संस्कृति के लिए जाना जाता है। हर राज्य की अपनी एक अलग पहचान है। ऐसे में जब बात तलाक की होती है, तो ये भी जगह-जगह अलग-अलग नजर आता है। खासकर बड़े शहरों जैसे दिल्ली, मुंबई और बेंगलुरु में तलाक की दर 30% से भी ज़्यादा हो गई है।

इन शहरों के अलावा कोलकाता और लखनऊ जैसे शहरों में भी तलाक की अर्जी देने वालों की संख्या हाल के सालों में तीन गुना तक बढ़ गई है।

वहीं उत्तर भारत के राज्य जैसे उत्तर प्रदेश, बिहार, हरियाणा और राजस्थान, जहां समाज में पुरुष प्रधान सोच हावी रही है, वहां अब भी तलाक और अलगाव की दर अपेक्षाकृत कम है। लेकिन पूर्वोत्तर भारत में तलाक के केस ज़्यादा देखे जाते हैं।

अब छोटे शहरों में भी तलाक के मामलों में बढ़ोतरी हो रही है।

How Social Media Affects Divorce Cases (सोशलमीडिया का आपके तलाक के केस पर क्या असर पड़ सकता है?)

भारत में तलाक के प्रकार (Types of Divorce in India)

भारत में तलाक मुख्य रूप से दो तरीके से होता है:

1. म्युचुअल कंसेंट तलाक (Mutual Consent Divorce)

जब पति-पत्नी आपसी सहमति से तलाक लेना चाहते हैं, तो इसे म्युचुअल कंसेंट तलाक कहा जाता है।
इसमें दोनों मिलकर कोर्ट में एक साथ अर्जी लगाते हैं। आमतौर पर इसमें 6 महीने का वेटिंग पीरियड होता है, जिसके बाद कोर्ट तलाक मंजूर कर सकता है।

2. विवादित (कॉन्टेस्टेड) तलाक (Contested Divorce)

इसमें एक पक्ष तलाक की मांग करता है और दूसरा पक्ष या तो इनकार करता है या शर्तों से सहमत नहीं होता।
ये केस कई बार सालों तक चलता है क्योंकि दोनों तरफ से दलीलें दी जाती हैं और कोर्ट को फैसला लेना होता है।\

भारत में तलाक बढ़ने के कारण (Causes of increasing divorce rate in India)

  1. परिवार में पैसों की तंगी (Financial Problems in the Family)
  2. एक-दूसरे से ठीक से बातचीत न होना (Lack of Communication)
  3. रिश्ते में भावनात्मक जुड़ाव का टूटना (Emotional Break Down of Relationship)
  4. भरोसे की कमी (Lack of Trust)
  5. सोच और संस्कारों का फर्क (Different Values)
  6. शादी में खुशी का न होना (Unhappiness)
  7. असुरक्षा की भावना (Insecurity)
  8. खुद को स्वतंत्र बनाना चाहना (Wanting to be independent)
  9. काम के अनियमित घंटे (Erratic Work Schedule)
  10. शराब और स्मोकिंग की आदत (Alcohol and smoking)

भारत में तलाक ज़्यादा होना अच्छी बात क्यों है? (The increased divorce rate in India is a good sign!)

शुरुआत में ये सुनकर अजीब लग सकता है कि “तलाक ज़्यादा हो रहे हैं और ये अच्छी बात है”, लेकिन हकीकत में इसका मतलब है कि अब लोग अपने जीवन को लेकर ज़्यादा जागरूक और साहसी हो गए हैं।

पहले बहुत से लोग शादी में चाहे जैसेभारत में तलाक के कानून धर्म के आधार पर अलग-अलग हैं। हर समुदाय की अपनी धार्मिक परंपराएं और मान्यताएं हैं, इसलिए तलाक के कारण और प्रक्रिया भी अलग होती है। नीचे प्रमुख धर्मों के तलाक कानून और हाल की कानूनी बदलाओं की जानकारी दी गई है: भी हालात हों, मजबूरी में टिके रहते थे। अब ज़्यादा लोग ये समझ रहे हैं कि अगर रिश्ता ठीक नहीं चल रहा तो ज़िंदगी में आगे बढ़ना ज़रूरी हैI

भारत में तलाक का कानूनी ढांचा (Legal Framework of Divorce in India)

भारत में तलाक के कानून धर्म के आधार पर अलग-अलग हैं। हर समुदाय की अपनी धार्मिक परंपराएं और मान्यताएं हैं, इसलिए तलाक के कारण और प्रक्रिया भी अलग होती है। नीचे प्रमुख धर्मों के तलाक कानून और हाल की कानूनी बदलाओं की जानकारी दी गई हैI

1. हिंदू मैरिज एक्ट, 1955 (Hindu Marriage Act, 1955)

ये कानून हिंदू, सिख, जैन और बौद्ध धर्म के लोगों के लिए है। इसमें तलाक के कुछ मुख्य आधार शामिल हैं:

  • व्यभिचार (Adultery): अगर किसी एक पार्टनर का किसी और से शारीरिक संबंध है।
  • क्रूरता (Cruelty): मानसिक या शारीरिक रूप से तंग करना।
  • त्याग (Desertion): बिना किसी ठोस वजह के दो साल तक पार्टनर को छोड़ देना।
  • धर्म परिवर्तन(Conversion): अगर एक पार्टनर धर्म बदलता है।
  • मानसिक बीमारी(Mental illness): अगर कोई पार्टनर गंभीर मानसिक बीमारी से पीड़ित हो।
  • संक्रमण रोग(Venereal disease): अगर किसी को संक्रामक यौन रोग हो।

म्युचुअल कंसेंट तलाक इस कानून के तहत वैध है। 6 महीने का वेटिंग टाइम होता है, लेकिन कोर्ट इसे हटाने का फैसला भी ले सकता है।

2020 में एक अहम बदलाव यह आया कि अब “नो फॉल्ट” तलाक की व्यवस्था भी लाई गई है – जिसमें किसी पर आरोप लगाने की जरूरत नहीं होती।

2. मुस्लिम पर्सनल लॉ (Muslim Personal Law)

मुस्लिम समुदाय में तलाक शरियत कानून के तहत होता है।

  • तलाक: पहले पति अकेले ही तलाक दे सकता था, लेकिन 2017 में सुप्रीम कोर्ट ने एक बार में तीन तलाक (ट्रिपल तलाक) को असंवैधानिक करार दिया। अब ये अपराध है।
  • खुला (Khula): पत्नी द्वारा शुरू किया गया तलाक, जिसमें वो पति को मेहर लौटा सकती है।
  • मुबारत: दोनों की सहमति से तलाक।
  • कोर्ट के जरिए तलाक: 1939 का कानून मुस्लिम महिलाओं को भी तलाक का हक देता है – जैसे पति का गायब होना, खर्च न देना, या जेल जाना।

3. ईसाई तलाक कानून (Divorce Act, 1869)

ईसाई समुदाय के लिए ये कानून लागू होता है। इसमें तलाक के कारण शामिल हैं:

  • व्यभिचार
  • मानसिक या शारीरिक क्रूरता
  • मानसिक बीमारी
  • दो साल या उससे ज़्यादा समय के लिए पार्टनर का छोड़ देना

अब इस कानून में कई पुराने नियमों को बदला गया है, ताकि महिलाओं को बराबरी का हक मिल सके और प्रक्रिया आसान हो।

4. पारसी मैरिज एंड डिवोर्स एक्ट, 1936 (Parsi Marriage and Divorce Act, 1936)

पारसी समुदाय के लिए यह कानून है। तलाक के कारण:

  • व्यभिचार
  • क्रूरता
  • मानसिक बीमारी
  • लंबे समय तक पार्टनर का साथ न देना

यहां भी म्युचुअल तलाक संभव है, लेकिन उससे पहले सामुदायिक स्तर पर समझौते की कोशिश की जाती है। पारसी समुदाय का अपना खास मैट्रिमोनियल कोर्ट होता है।

5. स्पेशल मैरिज एक्ट, 1954 (Special Marriage Act, 1954)

यह कानून उन लोगों के लिए है जो अलग-अलग धर्मों से हैं या जो धर्म से परे शादी करना चाहते हैं।

तलाक के कारण बाकी कानूनों जैसे ही होते हैं:

  • व्यभिचार
  • क्रूरता
  • मानसिक बीमारी

यहां भी म्युचुअल तलाक की सुविधा है, लेकिन इसके लिए पहले एक साल तक अलग रहना जरूरी है।

भारत में तलाक कानून से जुड़े हाल के बदलाव (Recent Developments in Indian Divorce Laws)

  1. जेंडर न्यूट्रैलिटी(Gender Neutrality): अब कानून पुरुष और महिला दोनों के लिए समानता की बात कर रहे हैं, खासकर मेंटेनेंस और एलिमनी के मामलों में।
  2. संपत्ति का अधिकार(Property Rights): कोर्ट अब महिलाओं और बच्चों के हित को देखते हुए संपत्ति के बराबर बंटवारे पर ज़ोर दे रहा है।
  3. बच्चों की कस्टडी(Child Custody and Support): अब सिर्फ मां को कस्टडी देना जरूरी नहीं माना जाता, कोर्ट अब यह देखता है कि बच्चे के लिए क्या सबसे अच्छा है।

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तलाक के लिए जरूरी कागजात (Legal Documents Required for Divorce in India)

तलाक एक कानूनी प्रक्रिया है, जिसमें कई जरूरी दस्तावेज़ लगते हैं। ये प्रक्रिया लंबी और मानसिक रूप से थकाने वाली हो सकती है, इसलिए इसे पूरी जिम्मेदारी से करना जरूरी है।

मुख्य दस्तावेज़ (Key Documents Required):

  • शादी का प्रमाण पत्र: तलाक की अर्जी लगाने के लिए सबसे जरूरी दस्तावेज़।
  • तलाक याचिका: कोर्ट में तलाक का कारण और राहत क्या चाहिए – ये साफ लिखा होता है।
  • हलफनामा (Affidavit): शादी से जुड़ी और तलाक के कारणों से संबंधित तथ्य बताने वाला दस्तावेज़।
  • पहचान पत्र की कॉपी: आधार, पासपोर्ट, वोटर ID जैसे डॉक्युमेंट।
  • पता प्रमाण पत्र: दोनों पक्षों का वर्तमान पता।
  • वित्तीय दस्तावेज़: इनकम, बैंक स्टेटमेंट, प्रॉपर्टी आदि से जुड़ी जानकारी – खासकर एलिमनी या संपत्ति बंटवारे के लिए।
  • बच्चों के दस्तावेज़ (अगर बच्चे हैं): जन्म प्रमाणपत्र, स्कूल के कागज़, आदि।
  • नोटिस ऑफ मोशन (यदि लागू हो): अगर कोर्ट से किसी विशेष राहत की मांग हो।
  • सेपरेशन एग्रीमेंट (अगर हो): जिसमें बच्चे की कस्टडी, संपत्ति का बंटवारा और खर्च आदि के नियम हों।
  • अन्य जरूरी दस्तावेज़: जैसे ईमेल, चैट्स आदि जो तलाक की याचिका के दावों को साबित करते हों।

निष्कर्ष (Conclusion)

भारत में तलाक के मामलों में अब तेजी से बढ़ोतरी हो रही है – खासकर शहरों में, जहां लोग ज़्यादा स्वतंत्र, जागरूक और आत्मनिर्भर हो चुके हैं। अब समाज भी धीरे-धीरे समझने लगा है कि अगर रिश्ता सही नहीं चल रहा, तो अलग होना बेहतर होता है।

कानून अब ज़्यादा पारदर्शी और फेयर हो गए हैं। और जैसे-जैसे सोच बदल रही है, तलाक को लेकर जो बदनामी हुआ करती थी, वो भी धीरे-धीरे कम हो रही है।

जो लोग अब भी परेशान रिश्ते में फंसे हैं, उनके लिए तलाक अब एक साहसिक और जायज़ विकल्प बन गया है।

❓ अक्सर पूछे जाने वाले सवाल (FAQ)

1. तलाक के केस इतने बढ़ क्यों रहे हैं आजकल? (Why are divorce cases increasing in 2025?)

अब लोग चुपचाप सहने के बजाय खुलकर अपनी बात कहने लगे हैं। अगर रिश्ता ठीक से नहीं चल रहा तो ज़बरदस्ती साथ रहना अब लोग ठीक नहीं समझते। औरतें अब पढ़-लिख कर अपने पैरों पर खड़ी हैं, तो उन्हें किसी पर टिके रहने की मजबूरी नहीं रही।
source: https://www.indiatoday.in/india/story/divorce-cases-rise-in-indian-cities-legal-and-social-reasons-2414583-2024-07-10

2. तलाक सबसे ज़्यादा कहां हो रहे हैं? (Where are divorce cases most common in India?)

शहरों में ज़्यादा हो रहे हैं — जैसे दिल्ली, मुंबई और बेंगलुरु। वहां के लोग थोड़े खुले सोच वाले होते हैं। जो चीज़ नहीं चल रही, उसे छोड़ना जानते हैं। गांवों में लोग अभी भी समाज और रिश्तेदारों की बात सोचते हैं।
source: https://www.hindustantimes.com/india-news/divorce-cases-on-rise-in-urban-india-report-101684444392652.html

3. तलाक के कितने तरीके होते हैं? (What are the types of divorce in India?)

दो तरह के होते हैं। एक जब दोनों मिलकर कहते हैं कि अब साथ नहीं रह सकते — इसे आपसी सहमति कहते हैं। दूसरा जब एक को तलाक चाहिए और दूसरा मना करता है — तब कोर्ट में पूरा मामला चलता है।
source: https://www.livelaw.in/top-stories/mutual-consent-contested-divorce-india-law-legal-interpretation-2024-242221

4. तलाक के लिए कौन-कौन से कागज़ देने पड़ते हैं? (What documents are needed for divorce?)

शादी का कागज़ (सर्टिफिकेट), आधार कार्ड या कोई पहचान पत्र, रहने का पता, फोटो और जो अर्जी दायर करनी है वो। बस इतने ही। अगर बच्चे हैं तो उनसे जुड़े कागज़ भी लग सकते हैं।
source: https://www.vakilsearch.com/blog/documents-required-for-divorce-in-india/

5. क्या अब लोग तलाक को लेकर पहले से ज़्यादा समझदार हो गए हैं? (Are people more open-minded about divorce now?)

अब हां। पहले तलाक को बहुत बुरा माना जाता था। लोग क्या कहेंगे, यही सोचते थे। लेकिन अब लोग समझते हैं कि अगर रिश्ता ठीक नहीं है तो अलग होना कोई गुनाह नहीं। ज़िंदगी सुकून से जीना भी ज़रूरी है।
source: https://theprint.in/india/attitudes-towards-divorce-change-in-urban-india/2145889/

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